Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के आगरा में 2007 में अपहरण किया गया बच्चा बड़ा होकर वकील बन गया और उसने 17 साल बाद अपने ही अपहरणकर्ताओं को सजा दिलाई। साल 2007 में घर के सामने से हर्ष गर्ग का अपहरण हुआ था। उन्होंने बताया कि दस्यु गुड्डन गैंग ने जब उसका अपहरण किया, तब वे सात साल का था। किडनैपर राजस्थान के धौलपुर जिले के रहने वाले थे।
किडनैपरों ने फिरौती के लिए सरेआम उसके पिता को गोली मारकर हर्ष गर्ग को अगवा कर लिया। गैंग की दहशत उसके मन मस्तिष्क में घर कर गई। जब वो गैंग के चंगुल से छूटकर आया तो माता-पिता के दर्द ने उसकी इच्छा शक्ति को मजबूत किया। 12 वीं पास करने के बाद उसने तय किया कि वो वकील बनेगा और अपहरण करने वालों को खुद सजा दिलाएगा।
55 लाख की फिरौती के लिए हुआ था अपहरण
17 साल तक चले इस मामले में आगरा के स्पेशल जज नीरज कुमार बख्शी ने सजा सुनाई है। घटना 10 फरवरी 2007 को आगरा जिले में हुई थी। बदमाशों ने 55 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। दिनदहाड़े हुई इस वारदात से इलाके में दहशत फैल गई। हर्ष गर्ग के चाचा अविनाश गर्ग ने 14 अज्ञात लोगों के अलावा कुशवाह के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया था।
इसके बाद बच्चे की बरामदगी के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाया। 26 दिन बाद छह मार्च 2007 को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरोह को शिवपुरी के बीहड़ों में घेर लिया और बच्चे को मुक्त कराया। स्कूटर पर बैठाकर दूसरी जगह ले जा रहे बदमाश हर्ष गर्ग को शिवपुरी कस्बे में छोड़कर भागने में सफल रहे।
वकील बनकर खुद लड़ी अपने इंसाफ की लड़ाई
पुलिस ने अपहरणकर्ताओं दस्यु गुड्डन कुशवाह, राजकुमार कुशवाह, फतेह सिंह उर्फ फत्ते, अमर सिंह, बलवीर, राजेश शर्मा, भीकम सिंह, राम प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया। हर्ष गर्ग ने 2022 में आगरा कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की और बार एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन कराया। वे अपने मामले में अभियोजन पक्ष में शामिल हुए।
वे हर तारीख पर अभियोजन अधिकारी नाहर सिंह तोमर के साथ अदालत में जाते थे और तथ्य पेश करते थे।अदालत में पेशी के वक्त उन्होंने अपने मामले पर बहस करने की अनुमति मांगी। मंजूरी मिलने के बाद हर्ष ने बहस की और फैसला उनके पक्ष में आया।
यह भी पढ़ें: वेश्यालय से भीख मांगकर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए लाई जाती है मिट्टी, जानें इसके पीछे की कहानी