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Manu Bhaker ने रचा इतिहास, Olympics 2024 Shooting में जीता Bronze मेडल। जानिए अनसुनी कहानी !

देश को मेडल दिलाने वाली मनु भाकर ने किये संघर्ष ……पिता ने बेटी के लिए छोड़ दी थी नौकरी !

हमारी बेटियां किसी से कम नहीं..और, रविवार को ये साबित कर दिखाया है..भारतीय निशानेबाज़ मनु भाकर ने। आखिर, पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु ने भारत को मेडल जो जीता दिया है।

रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग के फ़ाइनल की प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सा लेकर मनु ने कांस्य पदक को अपने नाम किया। मनु भाकर पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं, जिन्होंने ओलंपिक शूटिंग में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। फाइनल में मनु भाकर ने कुल 221.7 अंक हासिल किए। मनु भाकर के ब्रॉन्ज जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी।

जहां दिग्गज शूटरों ने भारत को निराश किया था तो वहीं, मनु भाकर ने देश का नाम विदेशी सरजमीं पर रोशन कर दिया है। फाइनल में मनु भाकर का सामना वियतनाम, तुर्किए, कोरिया, चीन, और हंगरी के खिलाड़ियों से हुआ। पहले और दूसरे स्थान पर कोरिया की खिलाड़ी रहीं। इस इवेंट में कोरिया की ओह ये जिन ने गोल्ड जीता। उन्होंने 243.2 पॉइंट स्कोर करके ओलिंपिक रिकॉर्ड बनाया। कोरिया की ही किम येजी ने सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने 241.3 पॉइंट बनाए।

तो, 22 साल की मनु भाकर के लिए इस सफलता को हासिल करना जरा भी आसान नहीं रहा। बता दें कि, टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु भाकर इसी इवेंट में 12वें स्थान पर रही थीं।

मनु की बात करें तो, हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव की रहने वाली है। उनकी मां स्कूल में पढ़ाती हैं, जबकि पिता मरीन इंजीनियर रहे हैं।

मनु के पिता राम किशन ने इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। नौकरी छोड़ने के बाद वो बेटी को साथ लेकर शूटिंग इवेंट में जाते थे।

वहीं, बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस पिस्टल से निशाना साधकर मनु ने भारत के लिए दो गोल्ड मेडल जीते हैं, उसके लिए लाइसेंस लेने के लिए उन्हें ढाई महीने लंबा इंतज़ार करना पड़ा था। आम तौर पर ये लाइसेंस खिलाड़ियों को एक हफ्ते में मिल जाता है।

वहीं, टोक्यो ओलिंपिक के वक्त नंबर वन शूटर रहीं मनु भाकर क्वालिफाइंग राउंड में थीं। मनु को 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे। तभी उनकी पिस्टल खराब हो गई। 20 मिनट तक वे निशाना नहीं लगा पाईं। पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु सिर्फ 14 शॉट लगा पाईं और फाइनल की रेस से बाहर हो गईं।

मनु भारत लौटी तो इतनी उदास थीं कि मां सुमेधा को फिक्र होने लगी। उन्होंने मनु की पिस्टल छिपा दी, ताकि उस पर नजर न पड़े और मनु दुखी न हो। टोक्यो ओलिंपिक में मेडल न जीत पाने का असर मनु की शूटिंग पर दिखने लगा था। एक वक्त ऐसा भी आया कि नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा।

गौरतलब है कि, ओलंपिक में भारत के लिए इससे पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद गगन नारंग और विजय कुमार ने 2012 ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। मनु शूटिंग ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाली चौथी खिलाड़ी बनीं।

मनु भाकर ने भारत को ओलिंपिक में 12 साल बाद शूटिंग का मेडल दिलाया है। भारत को इस खेल में आखिरी ओलिंपिक मेडल 2012 में मिला था। यह शूटिंग में भारत का अब तक का 5वां मेडल है।

Bebak News Live

Written by Bebak News Live

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