Lakhimpur News
माथुरपुर में तेजी से कटान कर पांच गांवों की तरफ बढ़ रही घाघरा नदी को रोकने की कोशिश सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड ने शुरू की हैं। लेकिन, घाघरा नदी के कटान के जद में आकर पूरा भोजपुरावा गांव अब कुछ ही दिनों में एक इतिहास बनकर रह जायेगा।
हम बात कर रहे हैं..उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के मनियर ब्लाक के ग्राम भोजपुरावा की….इस गांव के वोटरों की संख्या 2500 है तो आबादी तकरीबन 5000 है। इस गांव में सैंकड़ों पक्के व कच्चे मकान है। गांव में शासन प्रशासन से मुफ्त राशन के अलावा किसी तरह की कोई राहत नहीं है।
लोगों की मानें तो, पिछले दो साल से नदी की धारा को मोड़ने के लिए बांस के कैरेट और मिट्टी की बोरियों से रोकने का प्रयास किया जा रहा था..जो बाढ़ राहत कोष का एक दुरपयोग मात्र है। सरकार के तरफ से कोई राशि आवंटित नहीं की जा रही है। जहां-तहां लोग अपना ठिकाना बनाकर रह रहे है। कुछ को सुल्तानपुर इंटर कालेज में रहने के लिए जगह दी गई है जो कि फ़िलहाल अस्थायी है।
दूसरी ओर, घाघरा नदी के जद में अभी और भी दर्जनों गांव हैं। जिसमें खादीपुर, सुल्तानपुर, कोटावा, बिजलीपुर, ताहिरापुर, जयनगर, मुड़ियारी गांव पर नदी का खतरा मंडरा रहा है।
बता दें कि, घाघरा नदी के इस कटान से दर्जनों गांवों में भुखमरी और बेरोजगारी जैसी दयनीय हालत बन गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि शासन प्रशासन कटान को चिन्हित कर उन स्थानों पर पक्के काम कराए। जब तक ऐसा नहीं होगा, बाढ़ के दौरान छोटे मोटे कार्यों से कटान रुकने वाला नहीं है।
ऐसे में, पिछले दो दशकों से यहां तबाही मचा रही घाघरा नदी के कटान को लेकर यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो फिर घाघरा के निशाने पर आए पांच गांवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और इन गांवों के करीब एक हजार परिवार तबाह हो जाएंगे।
याद दिला दें कि, पिछले दिनों घाघरा बैराज से अचानक ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का रुख भयंकर हो गया था। अब स्थिति सामान्य हो रही है। उम्मीद है कि जल्द ही कटान पर नियंत्रण पा लिया जाएगा।