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किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं, जून में अब तक औसत से 20 प्रतिशत कम हुई बारिश

किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं,
किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं,

Monsoon 2024 : देश में 1 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है. भक भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 12 से 18 जून के बीच बारिश लाने वाली प्रणाली ने कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं की है. बावजूद इसके मौसम विभाग ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.

दर्ज की गई कम बारिश
IMD के अनुसार, देश में 1 से 18 जून के बीच 64.5 मिमी बारिश हुई, जो 80.6 मिमी के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) से 20 प्रतिशत कम है. IMD के डाटा के अनुसार, 1 जून से अब तक उत्तर-पश्चिम भारत में 10.2 मिमी बारिश (सामान्य से 70 प्रतिशत कम), मध्य भारत में 50.5 मिमी (सामान्य से 31 प्रतिशत कम), दक्षिण प्रायद्वीप में 106.6 मिमी (सामान्य से 16 प्रतिशत अधिक) और पूर्व तथा उत्तर-पूर्व भारत में 146.7 मिमी (सामान्य से 15 प्रतिशत कम) दर्ज की गई है.

केरल में जल्दी पहुंचा मानसून

यहां पर बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा. इसके बाद 26 मई तक इसने चक्रवात रेमल के साथ दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य के कुछ हिस्सों को कवर किया. वहीं यह 30 मई को केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में एक साथ पहुंचा, जो क्रमशः सामान्य से दो और छह दिन पहले था.

इसके बाद 12 जून तक इसने धीरे-धीरे केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के पूरे राज्यों को कवर कर लिया. दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों और दक्षिणी छत्तीसगढ़ और दक्षिणी ओडिशा के कुछ हिस्सों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों को कवर कर लिया.

पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम, उत्तर-पश्चिम में सामान्य और देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है. देश के मुख्य मानसून क्षेत्र में देश के अधिकांश वर्षा-आधारित कृषि क्षेत्रों को कवर करने वाले क्षेत्र में इस मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है. देश के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर करता है. यह पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

Bebak News Live

Written by Bebak News Live

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