नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन आज बिहार के राजगीर में किया जा रहा है। यह कैंपस महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया है। इसमें विदेशी दूत और मंत्रियों की उपस्थिति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण घटना है। इस नए कैंपस में आधुनिक शिक्षा और संस्कृति के लिए विशेष संरचनाएँ हैं, जो छात्रों के विकास और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने में मदद करेंगी। यहां प्राचीन और आधुनिक शिक्षा के संरचनात्मक प्रयासों को संगठित किया गया है ताकि छात्र एक समृद्ध शैक्षिक अनुभव प्राप्त कर सकें।
नालंदा का इतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। लगभग 1600 साल पहले, पांचवीं सदी में इसकी स्थापना हुई थी। इस विश्वविद्यालय ने उस समय दुनिया भर के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्कषण केंद्र का कार्य निभाया था। विशेषज्ञों के मुताबिक, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया, जिससे पहले इस प्राचीन विद्यालय ने लगभग 800 साल तक अनगिनत छात्रों को शिक्षा प्रदान की। इसकी नींव गुप्त राजवंश के कुमार गुप्त प्रथम ने रखी थी।
नालंदा में बने इस प्राचीन विश्वविद्यालय में पांचवीं सदी में लगभग 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जिनके लिए 1500 अध्यापक होते थे। अधिकांश छात्र एशियाई देशों से आने वाले बौद्ध भिक्षु थे, जैसे की चीन, कोरिया और जापान से। चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में नालंदा में शिक्षा प्राप्त की थी और अपनी किताबों में इस विश्वविद्यालय की महत्ता का वर्णन किया था। यह विश्वविद्यालय ज्ञान और बुद्धिमत्ता के प्रसार की दिशा में प्राचीन भारत के योगदान का एक महत्वपूर्ण साक्षी है।
पीएम मोदी ने तस्वीरें शेयर कर दी बधाई
It’s a very special day for our education sector. At around 10:30 AM today, the new campus of the Nalanda University would be inaugurated at Rajgir. Nalanda has a strong connect with our glorious past. This university will surely go a long way in catering to the educational needs… pic.twitter.com/sJh6cndEve
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2024