उत्तर प्रदेश : लोकसभा चुनाव 2024 के बाद, भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेता को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में चुन लिया है। वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लोकसभा में विपक्षी नेता का चयन की प्रक्रिया चल रही है। एनडीए ने यूपी के वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी को अपना नेता और प्रधानमंत्री चुना है, जबकि कांग्रेस में प्रस्ताव पारित होकर राहुल गांधी से आग्रह किया गया है कि वह लोकसभा में विपक्षी नेता का जिम्मा संभालें। और यदि ऐसा वाकई में होता है, तो राहुल गांधी अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पदचिह्न पर चलेंगे।
पहली बार यूपी मे पक्ष-विपक्ष का सामना
साल 1989 में ऐसा पहली बार हुआ जब देश के प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्षी नेता एक ही राज्य से थे। 1989 के चुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश के सातवें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उस सरकार में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल को भारतीय जनता पार्टी और सीपीआईएम ने बाहर से समर्थन दिया।
दूसरी बार यूपी में पक्ष-विपक्ष का सामना
साल 1999 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी। उस समय यूपी के लखनऊ से सांसद चुने गए अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। साथ ही, अमेठी से चुनाव लड़कर संसद पहुंची सोनिया गांधी ने नेता विपक्ष का जिम्मा संभाला। सोनिया गांधी ने 31 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक नेता विपक्ष का जिम्मा संभाला। उन्होंने पूरे पांच साल तक लोकसभा में कांग्रेस का नेतृत्व किया था।