31 May, 2024
Vivekananda Rock Memorial: आज यानी 31 मई, शुक्रवार की सुबह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी में विवेकानन्द रॉक मेमोरियल में 45 घंटों के ध्यान में मग्र हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साधना पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, ‘…वो दिव्य स्थान है जहां स्वामी विवेकानंद को दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई थी… ध्यान करने के बाद उन्हें(पीएम मोदी) शक्ति और ऊर्जा मिलेगी… मैं राम लला की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देता हूं… 4 तारीख को जो चुनाव संपन्न हो रहा है उसकी गणना है उसमें उन्हें सफलता मिले, ये मेरी कामना है…’
स्वामी विवेकानंद, जो अब तक के सबसे महान आध्यात्मिक नेताओं में से एक हैं, उन्होंने कहा था, ‘दिल और दिमाग के बीच संघर्ष में, अपने दिल की सुनो.’ जब आप कन्याकुमारी पहुँचते हैं, तो आप अपने दिल और दिमाग दोनों की बात मानने से खुद को रोक नहीं पाते क्योंकि विवेकानंद रॉक मेमोरियल आपको अपनी शानदार भव्यता के साथ आमंत्रित करेगा. भारत में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन आकर्षणों में से एक, विवेकानंद रॉक मेमोरियल मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर समुद्र में एक चट्टान पर स्थित है. कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल एक और जगह है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती है.
इतिहास
19वीं सदी के दार्शनिक और लेखक स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक ख्याति को दुनिया के सामने रखा. महान भिक्षु के सम्मान में 1970 में स्मारक बनाया गया था. जिस चट्टान पर स्मारक बनाया गया है, कहा जाता है कि यहीं पर विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.
मान्यताएं
मान्यतानुसार, इसी चट्टान पर देवी कन्याकुमारी ने भगवान शिव की पूजा की थी, इस प्रकार इसे भारत के धार्मिक परिसर में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ. चट्टान में एक विशेष रूप से संरक्षित भाग है जिसके बारे में माना जाता है कि यह देवी के पैरों की छाप है.
विशेषताएं
1. स्मारक विभिन्न स्थापत्य शैलियों का एक सुंदर मिश्रण प्रदर्शित करता है. श्रीपद मंडपम और विवेकानंद मंडपम स्मारक में खोजी जाने वाली दो संरचनाएं हैं. परिसर में स्वामी विवेकानंद की कांस्य की एक प्रतिमा भी है.
2. यह चट्टान लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई है, जहाँ बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर का संगम होता है. इस स्थान की खूबसरती आपको आश्चर्यचकित कर देगी.
3. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, यह मूल रूप से एक पवित्र स्मारक है, जिसे विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने 24, 25 और 26 दिसंबर 1892 को स्वामी विवेकानंद की गहन ध्यान और ज्ञान प्राप्ति के लिए ‘श्रीपद पराई’ की यात्रा की याद में बनवाया था.
4. पौराणिक परंपरा में ‘श्रीपद पराई’का अर्थ है वह चट्टान जिसे देवी के श्रीपाद चरणों के स्पर्श से आशीर्वाद मिला है. चट्टान पर एक मानव किले के आकार जैसा उभार है और रंग में थोड़ा भूरा है, जिसे पारंपरिक रूप से श्रीपदम के प्रतीक के रूप में माना जाता है.