India Canada Row: भारत और कनाडा के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं. भारत ने अपने कई अफसरों को वापस बुला लिया है तो कनाडा ने भी अपने पांच राजनयिकों को देश छोड़ने को कह दिया है. बीते साल कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से दोनों के रिश्ते और भी ज्यादा खराब हो गए. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना के बाद भारत की ओर उंगली उठाई थी. हालांकि भारत ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. उसके बाद हालात इतने बिगड़ गए कि दोनों देशों ने अपने अपने डिप्लोमैट्स को देश छोड़ने के लिए कह दिया.
कैसे खराब हुए दोनों देशों के रिश्ते
भारत का मानना है कि कुछ कनाडाई सिख भारत में फुट डालने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मकसद भारत के अंदर एक अलग सिख देश बनाने का है, जिसके लिए वो हिंसक ख़ालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा दे रहे हैं. दोनों देश की बीच की यह तकरार आज की नहीं बल्कि इसके पीछ कई घटनाएं हैं. 40 साल पहले भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था. अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर विवादास्पद हमला किया गया था और फिर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी. ऐसे में भारत का कहना था कि कनाडा के कुछ लोग हैं जो ख़ालिस्तानी समर्थक हैं. भारत ने इन पर कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन कनाडा ने कार्रवाई करने से मना कर दिया था.
दोषियों का खालिस्तानी कनेक्शन
साल 1985 में एक दर्दनाक विमान हादसा हुआ था, जिसमें 329 लोगों की जान चली गई थी. एयर इंडिया की फ्लाईट ने नई दिल्ली से उड़ान भरा था, लेकिन महज 45 मिनट बाद ही एक जोरदार धमाका हुआ. जब यह हादसा हुआ तो विमान 31 फुट की ऊंचाई पर था. बता दें कि उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता ही थे. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि इस घटना का खालिस्तानियों से कनेक्शन है, लेकिन उस समय भी कनाडा सरकार ने दोषियों को सजा दिलाने की कोई पहल नहीं की थी. इस घटना का मुख्य आरोपी आतंकी इंद्रजीत सिंह रेयात को माना गया था.
खलिस्तान समर्थकों का कनाडा करती है मदद
पिछले साल हुए घटना ने दोनों देशों के रिश्तों को और भी ज्यादा खराब कर दिया. कनाडा खलिस्तान समर्थकों को हर तरह की मदद करता है, यह तो जगजाहिर है. भारत सरकार समय-समय पर कनाडा सरकार को चेतावनी देते रहती है,लेकिन कनाडा सरकार ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया. जहां भारत का कहना है कि हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तानी आतंकवादी है तो वही कनाडा का कहना है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतता और व्यक्तिगत आजादी का हिमायती है और हम किसी को भी अपनी राय रखने से नहीं रोक सकते हैं.
सिख वोट बैंक को रिझा रहे जस्टिन ट्रूडो
भारत ने साफ तौर पर कहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो वहां के सिख वोट बैंक को रिझा रहे हैं और यही कारण है कि भारत की खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को कनाडा नजरअंदाज कर रहा है. बता दें कि भारत से भी ज्यादा सिख कनाडा में हैं. भारत-कनाडा के बिगड़े रिश्ते ने सभी को हैरान कर दिया है. पश्चिमी देश के साथ भारत के संबंध इतने खराब कभी नहीं रहे हैं.
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