Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) को एक जनहित याचिका में पक्षकार बनाए जाने और सेवा विवाद से संबंधित याचिका को खारिज करने के लिए उनके खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग करने पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कड़ा संज्ञान लिया है. इस मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की पीठ ने पुणे से एक वादी से कहा कि आप एक पूर्व न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? याचिका दायर करने से पहले उसमें कुछ तो गरिमा होनी चाहिए. आप यह कतई नहीं कह सकते हैं कि मैं एक पूर्व न्यायाधीश की इन-हाउस जांच चाहता हूं.
पूर्व CJI के खिलाफ आंतरिक जांच मांगी इजाजत
सीजेआई ने कहा कि रंजन गोगोई भारत के सर्वोच्च न्यायालय से रिटायर्ड हुए हैं आप यह नहीं कह सकते हैं कि मैं एक न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं. आप हमें क्षमा करें हम इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. पीठ ने कहा कि श्रम कानूनों के तहत उनकी सेवाओं की समाप्ति से संबंधित उनकी याचिका को पूर्व न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा खारिज किए जाने के बाद याचिकाकर्ता ने एक बार फिर जनहित याचिका दायर की है. सीजेआई ने इस बात को साफ किया कि जब हाई कोर्ट में कोई जज किसी मामले में फैसला सुनाता है और याचिकाकर्ता उसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट आता है तो वह यहां आकर हाई कोर्ट के जज को वादी नहीं बना सकता है.
वकील के आंसर से CJI नाराज
याचिका दायर करने वाले वकील की उस बात से सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ नाराज हो गए थे जब उन्होंने कुछ सवालों के जवाब में या, या कहा. इस पर सीजेआई ने कहा कि यह कोई कॉफी शॉप नहीं है, इसलिए इस बात की कतई परमिशन नहीं दी जा सकती है अगर आपको किसी बात का उत्तर देना होता है तो आप ‘Yes’ कहिए. इसके अलावा याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने वकील से कहा कि जब याचिका और रिव्यू पिटीशन दोनों खारिज हो गई है तो सेवा मामलों में जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? इसके लिए आपको क्यूरेटिव याचिका दायर करनी चाहिए थी. साथ ही डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील से यह भी कहने को कहा कि वह पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटा देंगें.
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