
260 करोड़ की डील, सीमाओं पर बढ़ेगी ताकत
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इग्ला-एस वायु रक्षा मिसाइलों की यह नई खेप कुछ हफ्ते पहले भारतीय सेना को प्राप्त हुई है. इस आपूर्ति का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन से होने वाले खतरों का मुकाबला करना है. करीब 260 करोड़ रुपये के इस अनुबंध से खासकर पश्चिमी सीमा पर वायु रक्षा इकाइयों की ताकत में इजाफा होगा. सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना ने भी इन्फ्रारेड सेंसर आधारित VSHORADS के लिए इसी तरह के अनुबंध को चुना है.
सेना की युद्ध क्षमता में इजाफा
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना ने आपातकालीन और फास्ट-ट्रैक खरीद के जरिए अपने हथियारों के भंडार को लगातार मजबूत किया है. इस दौरान बेड़े को चालू रखने के लिए पुर्जों और अन्य उपकरणों पर विशेष ध्यान दिया गया है. इग्ला-एस मिसाइलों की ताजा डिलीवरी के साथ, सेना ने फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाओं के तहत 48 अतिरिक्त लॉन्चर और 90 VSHORADS (इन्फ्रारेड) मिसाइलों की खरीद के लिए निविदा भी जारी की है. इसके अलावा, सेना जल्द ही लेजर बीम-राइडिंग VSHORADS के नए संस्करण को हासिल करने की योजना बना रही है.
इग्ला-एस मिसाइल: एक घातक हथियार
इग्ला-एस मिसाइल, 1990 के दशक से उपयोग में रही इग्ला मिसाइलों का उन्नत संस्करण है. यह मिसाइल दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को 5 किलोमीटर की दूरी और 3.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार गिराने में सक्षम है. पुराने संस्करण की मिसाइलों को भी एक भारतीय फर्म द्वारा नवीनीकृत किया गया है. पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मानव रहित हवाई वाहनों के बढ़ते खतरे को देखते हुए, भारतीय सेना को बड़ी संख्या में मिसाइलों और उन्नत ड्रोन-रोधी तकनीकों की जरूरत है. सेना ने स्वदेशी एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (मार्क 1) को भी तैनात किया है. यह सिस्टम 8 किलोमीटर से अधिक की दूरी से ड्रोन का पता लगा सकता है. यह ड्रोन को जाम करने, धोखा देने और मार गिराने में सक्षम है. इसके अलावा, इसमें लगे लेजर ड्रोन को जलाकर नष्ट कर सकते हैं. हाल ही में जम्मू क्षेत्र के 16 कोर क्षेत्र में इसी सिस्टम का उपयोग करके एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया गया था.