Supreme Court: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश के मामले में एक ऐसा फैसला सुनाया था जिससे सुनने के बाद हर कोई हैरान रह गया था. लोगों ने इस फैसले को विवादित माना और ये मामला फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले पर सुनवाई हुई और इसे असंवेदनशील करार देते हुए रोक लगा दी. बता दें ये मामला सुप्रीम कोर्ट में स्वत: संज्ञान के जरिए पहुंचा था. इस मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को एक नोटिस भी जारी किया है.क्या सुनाया था हाईकोर्ट ने फैसला ?
नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 17 मार्च को आए हाईकोर्ट के इस निर्णय में जज ने कहा था कि पीड़िता को खींच कर पुलिया के नीचे लेकर जाना, उसके गुप्तांगों का खींचना और पाजामे के नाड़े को तोड़ने का प्रयास करना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आएगा. 11 वर्षीय बच्ची के साथ हुई इस जघन्य घटना पर जस्टिस राम नारायण मिश्रा फैसला सुना रहे थे. उनके मुताबिक ये महिला का गरिमा पर आघात का मामला है, न कि दुष्कर्म के प्रयास का.
किन धाराओं के तहत मामला किया था दर्ज ?
इसी निष्कर्ष के साथ उन्होंने दोनों आरोपियों पर लगे आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 18 (अपराध का प्रयास) इसके साथ ही पॉक्सो एक्ट की धारा को हटा दिया था. इसके बाद जस्टिस ने इस मामले में 354-B (महिला को निर्वस्त्र करने के लिए बल प्रयोग) और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 ( गंभीर यौन हमले का प्रयास) के अंतर्गत मामले की सुनवाई किए जाने का फैसला सुनाया था. ये फैसला इस तरह के अपराधों को भविष्य में बढ़ाने वाला साबित हो सकता है लिहाजा लोग सुप्रीम कोर्ट से ये मांग कर रहे थे कि इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया जाए. इसी सिलसिले में ‘दी वीमेन’ नाम की एक संस्था की ओर से चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को एक लेटर भी लिखा गया था, उसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.



