Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काम शुरू कर दिया है. इस बीच अमेरिका के यूक्रेन दूत ने यूरोप को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है. उन्होंने शनिवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए आयोजित की जाने वाली शांति वार्ता में यूरोप को शामिल नहीं किया जाएगा. ऐसे में इस शांति वार्ता में सिर्फ अमेरिका के साथ यूक्रेन और रूस के उच्च अधिकारी ही शामिल होंगे. इस फैसले से यूक्रेन को लेकर कई तरह की कयासों ने जन्म ले लिया है.
यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी यूरोप के भरोसे
दरअसल, अमेरिका के यूक्रेन दूत कीथ केलाग ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन शांति वार्ता में यूरोप को शामिल नहीं किया जाएगा. कीथ केलाग ने शनिवार को म्यूनिख में आयोजित वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि अमेरिका इस शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा. वहीं यूक्रेन और रूस इसके दो प्रमुख पक्ष होंगे. बता दें कि इससे पहले अमेरिकी सरकार ने यूरोपीय देशों को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या वह यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या योगदान दे सकते हैं. अमेरिकी अधिकारी यूरोपीय देशों से संपर्क कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि वह यूक्रेन के लिए कितने सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार हैं.
ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हालिया बयानों ने भी यह भी स्पष्ट कर दिया है कि NATO में शामिल यूरोपीय देश ही यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी प्राथमिकता से लेंगे. माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की वजह से यह फैसला लिया गया है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के इन फैसलों का असर यूक्रेन समेत यूरोपीय देशों की सुरक्षा पर भी पड़ेगा. डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले पर यूरोपीय नेताओं ने कहा कि वह वार्ता से बाहर रखे जाने को स्वीकार नहीं करेंगे.
यूरोपीय सेना के गठन की हो रही मांग
फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने कहा है कि यूरोपीय लोगों की भागीदारी के बिना हम चर्चा नहीं कर सकते हैं. NATO महासचिव मार्क रूट ने भी यूरोपीय लोगों से एकजुट होकर फैसले लेने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि मैं अपने यूरोपीय मित्रों से कहूंगा कि शांति वार्ता में शामिल हों और रक्षा के बजट को बढ़ाएं. बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेंलेंस्की ने शनिवार को ही यूरोपीय सेना के गठन का आह्वान किया है.