8th Pay Commission Salary Pay Matrix : केंद्र की मोदी सरकार ने आठवें वेतन आयोग को 16 जनवरी, 2025 को मंजूरी दे दी है. इसकी मांग बीते दो साल से लगातार कर्मचारी करते आ रहे हैं और अब सरकार ने मांग पर ध्यान देते हुए इसकी मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार की तरफ से आठवां वेतन आयोग (Pay Commission) को हरी झंडी मिलने के बाद बीते 10 सालों से इंतजार कर रहे कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था जहां पर कर्मचारियों का न्यूनतम भत्ता 7 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपये कर दिया गया था. वहीं, पेंशनधारियों की पेंशन में 23 फीसदी के करीब बढ़ोतरी की गई थी. अगर ऐसे ही वेतन आयोग में बढ़ोतरी की जाती है तो कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 46,620 रुपये तक पहुंच जाएगा.
कैसे काम करता है वेतन आयोग
केंद्र सरकार वेतन आयोग का गठन करती है और वह वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों की सैलेरी-पेंशन का स्ट्रक्चर का रिव्यू (समीक्षा) करता है और उसमें बदलाव की संभवना है तो उसके बारे में सुझाव देने का काम भी करता है. इसमें महंगाई, अर्थव्यवस्था की स्थिति, आय में असमानता और इसी तरह के अन्य फैक्टर्स पर गंभीरता के साथ अध्ययन किया जाता है. इसके अलावा कमीशन बोनस, भत्ते और अन्य लाभों का भी रिव्यू करता है. वहीं, वेतन आयोग का उद्देश्य होता है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और परिस्थिति के हिसाब से सुधार करना और उसे सुनिश्चित करना होता है ताकि सरकारी कर्मचारियों की कार्यकुशलता को बढ़ावा दिया जा सके. वहीं, वेतन आयोग रिपोर्ट बनाकर नई सैलेरी स्ट्रक्चर और भत्तों की सिफारिश को प्रस्तुत करता और उसके बाद केंद्र सरकार को रिपोर्ट लागू करने के लिए सौंप देता है. बता दें कि केंद्र सरकार वेतन आयोग का गठन 10 वर्ष में एक बार करता है ताकि सरकारी कर्मचारियों के सैलेरी स्ट्रक्चर का मूल्यांकन किया जा सके और उसमें विचार करने के बाद संशोधन कर सकें.
कब हुई थी Pay Commission की शुरुआत
केंद्र सरकार अब तक 7 वेतन आयोग को लागू कर चुकी है और इसी कड़ी में पहले वेतन आयोग का गठन साल 1946 से 1947 के बीच किया गया था. पहले वेतन आयोग के अध्यक्ष श्रीनिवास वरदाचार्य को बनाया गया था. जहां आयोग ने न्यूनतम वेतन 55 रुपये और अधिकतम 2000 रुपये कर दिया था. इसके अलावा वेतन आयोग ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का मूल वेतन 10 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर दिया था. तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को 35 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये कर दिया था. आयोग का गठन का विचार इस्लिंगटन कमीशन की रिपोर्ट से लिया गया था. उस दौरान वेतन आयोग ने कहा था कि इस्लिंगटन आयोग की तरफ से समीक्षा केवल वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप की जानी चाहिए और इस शर्त पर खरा उतरना चाहिए कि किसी भी मामले में व्यक्ति को वेतन योग्यता से कम नहीं मिले. इसी कड़ी में दूसरा वेतन आयोग 1957 में गठित किया गया, तीसरा 1973, चौथा 1986, पांचवां 1997, छठा 2006 और सातवां 2016 में गठित किया गया.