Manipur Violence : मणिपुर में सेना शिविर में काम करने वाले मैतेई समुदाय के 56 वर्षीय व्यक्ति के लापता होने के बाद 2000 से ज्यादा सैन्य कर्मियों को ढूंढने के लिए तैनात किया गया है. सेना ने बताया कि इम्फाल पश्चिम के खुखरुल में रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (MES) के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार के लिए पर्यवेक्षक थे. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि लैशराम सैन्य स्टेशन से लापता हुए थे और उन्हें ढूंढने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
पुलिस ने ली भारतीय सेना की मदद
इस मामले में मणिपुर पुलिस ने सोमवार को फेसबुक की एक पोस्ट में लिखा कि 25 नवंबर, 2024 से लापता लैशराम कमलबाबू (56) को ढूंढने के लिए मणिपुर पुलिस ने भारतीय सेना की मदद से बड़े पैमाने पर संयुक्त तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस ने आगे कहा कि इस अभियान में 2000 से ज्यादा सैन्यकर्मी, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और ट्रैकर कुत्तों को लगाया गया है. इसके अलावा खुफिया जानकारी का उपयोग करके आगे की जांच की जा रही है.
धरने में शामिल हुईं लैशराम की पत्नी
वहीं, लैशराम कमलबाबू सिंह के लापता होने के विरोध में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने सैन्य स्टेशन से करीब 2.5 किलोमीटर दूर कांटो सबल में धरना कर रहे हैं. उन्हें एक जगह पर रोकने के लिए सड़क पर बैरिकेडिंग की गई है और इस विरोध प्रदर्शन में लैशराम की पत्नी अकोइजम बेलारानी भी शामिल हुई हैं. इंफाल से 16 किलोमीटर दूर कुकी लोग रहते हैं और मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से लीमाखोंग में रहने वाले मैतेयी समुदाय के लोग वहां भाग गए थे. दूसरी तरफ JAC से जुड़े लोगों ने दावा किया कि लैशराम कमलबाबू को अगवा किया है.