National Pollution Control Day: राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार सेहत के लिए खतरा बना हुआ है. एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि फेफड़ों के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं जिसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण है. दिल्ली का AQI लगातार खराब स्तर पर बना हुआ है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए भारत हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है.
फेफड़ों के कैंसर की है कई वजह
वाहनों और फैक्टरी से निकलने वाले धुएं के अलावा फेफड़ों के कैंसर के लिए धूम्रपान भी एक बड़ी वजहों में से एक है. अमेरिकन लंग एसोसिएशन की एक रिसर्च के अनुसार, जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं या तंबाकू नहीं खाते हैं वे भी सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से फेंफड़ों के कैंसर के रोगी बन सकते हैं. सेकेंड हैंड या निष्क्रिय धूम्रपान का मतलब स्मोकिंग करने वाले शख्स के साथ रहने से होता है.
एक्सपर्ट देते हैं जानकारी
एक्सपर्ट का मानना है कि जो लोग लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं और धूम्रपान भी नहीं करते हैं उन लोगों को भी फेफड़े का कैंसर हो जाता है.
लोगों से धूम्रपान छोड़ने की अपील करने के अलावा एक्सपर्ट इस बात पर भी जोर देते हैं कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए विशेष रूप से भारत और दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के टियर I और टियर II शहरों में, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाना बहुत जरूरी है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, मौजूदा पर्यावरण और सेहत को होने वाले खतरों को कम करने के लिए ऐसे उपायों को जल्द से जल्द लागू करना जनहित के लिहाज से बेहतर साबित होगा.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉक्टरों के मुताबिक वायु प्रदूषित विषाक्त पदार्थों के बार-बार संपर्क में आने और खास तौर पर खराब से गंभीर और खतरनाक वायु गुणवत्ता वाला वातावरण सेहतमंद लोगों को भी बीमार कर सकता है.
इस मुद्दे के बारे में बात करते हुए फेफड़ों के डॉक्टर डॉ. मोहित सक्सेना ने बताया कि हाल ही में धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. ये बहुत खतरनाक है. आंकड़ों का हवाला देते हुए डॉ. मोहित ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर से होने वाली करीबन 65 प्रतिशत मौतें धूम्रपान से संबंधित हैं. मुझे लगता है कि फेफड़ों के कैंसर से संबंधित करीबन 15-20 प्रतिशत मौतें अब वायु प्रदूषण की वजह से ही होती हैं.
वहीं दूसरे डॉ. मोहित अग्रवाल ने बताया कि ये कुछ स्पेसिफिक साइज के कण होते हैं, जिनकी फेफड़ों में गहराई तक जाने की प्रवृत्ति होती है और इसलिए वे वहां सूजन जैसा कुछ पैदा करते हैं, जिससे फेफड़ों को नुकसान होता है, जो बाद में फेफड़ों के कैंसर की वजह बनता है.