Bhopal Gas Tragedy : भोपाल गैस कांड…, इस नाम की चर्चा आपने भी जरूर सुनी होगी. ये वो कांड है जिसकी छाप आज भी स्थानीय लोगों में देखने को मिलती है. वो मंजर, वो चीख-पुकार यहां की दीवारों में अभी भी बसी हुई है. देखते ही देखते इस कांड को 40 साल पूरे होने वाले हैं और आज भी इस घटना को कोई भूला नहीं पाया है. इसी कड़ी में कलाकारों ने तस्वीरों के जरिए श्रद्धांजलि देने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है.
रिसाव से प्रभावित हैं बच्चे
सदी का सबसे भयानक हादसा भोपाल गैस कांड को भूल जाना किसी के लिए आसान नहीं है. एक तरफ इस घटना को 40 साल पूरे होने वाले हैं. तो वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के भोपाल में कलाकारों ने यूनियन कार्बाइड की दीवारों पर तस्वीरों के जरिए इस घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया है. यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि इतने सालों बाद भी इस जहरीली गैस का असर भोपाल के कई इलाकों में देखने को मिलता है. यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि अभी भी लोगों के बच्चे दिव्यांग और अपंग (बच्चों में कुछ ना कुछ कमी) पैदा होते हैं, जो इस घटना का बड़ा प्रमाण देता है. साथ ही इस घटना को लेकर पेंटर देवीलाल पाटीदार ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से उस रात में भी भोपाल में ही था. मैंने वो सारा मंजर महीनों तक देखा है जो भोपाल ने भोगा है.
3 दिसंबर,1984 का मंजर?
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के भोपाल में 3 दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में एक घातक गैस रिसाव हुआ था. उस हादसे में हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई थी. हादसा इतना भयानक था कि इतने सालों के बाद भी लोगों के जख्म अभी तक सूखे नहीं हैं. इस घटना को कई लोग भूल गए होंगे लेकिन त्रासदी के पीड़ित अभी भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा आसपास के इलाकों में दस हजार से ज्यादा लोग शारीरिक रूप से विकलांग हो गए. करीब पांच लाख लोग एमआईसी के रिसाव से प्रभावित हुए.
एक भी दिन के लिए जेल नहीं गया कोई अधिकारी
इस दौरान भोपाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने उस हादसे के बारे में बात करते हुए कहा कि वो इस क्षेत्र में गए हैं, जिसमें 40 साल पहले नरसंहार हुआ था. उन्होंने आगे कहा कि आज भी गैस हादसा लोगों को जिंदगियों में अलग-अलग तरीके से जारी है. आज भी यहां पर 42 बस्तियों का भूजल प्रदूषित है. कलाकारों के बारे में बात करते हुए वह बोलते हैं कि भोपाल की कहानी इतनी बड़ी है और इस त्रासदी के जिम्मेदार लोगों में से एक भी अधिकारी को एक भी दिन के लिए जेल नहीं भेजा गया है, जिसको दिखाने के लिए कलाकार वो तमाम बातें अपनी कला के जरिए बता रहे हैं.