Chhath Puja 2024 : छठ पूजा को आस्था का महापर्व कहा जाता है, इसमें उगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है. छठ पूजा अंतर-धार्मिक सौहार्द का भी उत्सव है. यह एक ऐसा पर्व है जो जाति और धर्म के आधार पर समाज को विभाजित करने वाली रेखाओं को तोड़ देता है. छठ पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हों की भारी मांग होती है. बिहार की राजधानी पटना में मुस्लिम महिलाएं चूल्हों की मांग को पूरा करने में लगी हुई हैं. उनका कहना है कि भक्तों के लिए प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के चूल्हे तैयार करते समय अपने ग्राहकों की धार्मिक भावनाओं का विशेष ध्यान रखती हैं.
भाईचारे की मिसाल कर रही कायम
उन्होंने बताया कि काम शुरू करने से पहले बाकायदा नहाती हैं और साफ कपड़े पहनती हैं. चूल्हा बनाते समय उनके खान-पान का अनुशासन भी तय होता है. पटना की महिला कारीगर छठ से पहले सांप्रदायिक भाईचारे की मिसाल कायम कर रही हैं. महिला कारीगर ने बताया कि पीढ़ियों से उनका परिवार मिट्टी के चूल्हे बनाते आ रहा है. बिना कुछ खाए-पिए मिट्टी के चूल्हे बनाते हैं. महिलाओं ने बताया कि दुर्गा पूजा के समय से इसे बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.
समस्त समाज का बन चुका है पर्व
महिलाओं ने बताया कि हर साल पूरी निष्ठा और सम्मान के साथ चूल्हा बनाने का काम किया जाता है. यह पर्व केवल हिंदू समुदाय का नहीं बल्कि समस्त समाज का पर्व बन चुका है. मुस्लिम समुदाय की महिलाओं का योगदान धार्मिक आस्था के इस पर्व को और भी विशेष बना देता है. छठ पूजा मूल रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश का पारंपरिक त्योहार है. चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है. छठ पूजा में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक होती है.