Diwali 2024 Poojan: सदियों से लाल बही-खाता भारतीय व्यापार संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है. यह एक पारंपरिक लेखा बही-खाता है जिसमें डबल एंट्री वाले बही-खाता प्रक्रिया को उपयोग में लाया जाता है. यह सिस्टम इंटरनेट की दुनिया में तब फेमस हुआ जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने साल 2019 में अपने पहले बजट के दौरान दस्तावेजों को ले जाने के लिए सदियों से उपयोग किए जा रहे चमड़े के ब्रीफकेस को लाल कपड़े में लिपटे पारंपरिक ‘बही-खाता’ से बदल दिया.
क्या होता है बही-खाता ?
हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट के प्रेजेंटेशन में डिजिटल टैबलेट का उपयोग करना स्टार्ट कर दिया, लेकिन इसे बजट दस्तावेज की तरह ‘बही-खाता’ स्टाइल की थैली में रखा जाने लगा. बता दें कि बही-खाता एक ऐसा दस्तावेज है जिसे हाथ से लिखा जाता है जिसमें दुकानदार, व्यवसायी और लोग अपने वित्तीय लेन-देन को लिखते हैं. वहीं, एक वक्त था जब बिजनेसमैन, व्यापारी और दुकानदार अपने लेन-देन का सावधानीपूर्वक दस्तावेजीकरण करने के लिए बही-खाते का उपयोग करते थे. फिर बाद में कंप्यूटर ने इसकी लोकप्रियता को कम कर दिया. लेकिन कई व्यापारी आज भी दीवाली पर मां लक्ष्मी के साथ अपने बही-खातों की पूजा भी करते हैं.
दीवाली पर क्यों होती है इसकी पूजा ?
बता दें कि ‘बही’ का मतलब ‘रजिस्टर’ और ‘खाते’ का मतलब ‘अकाउंट’ है. इस पारंपरिक बही-खाते को लाल सूती कपड़े और धागे से बंधे कागज की मदद से तैयार किया जाता है. इसमें दस्तावेजों को लाल रंग के कपड़े या कवर से ढका जाता है, क्योंकि लाल रंग शुभता का प्रतीक होता है. बता दें कि दीवाली के दौरान मार्किट से लाखों की संख्या में बही-खाता खरीदें जाते हैं. बही-खाता बेचने वालों ने बताया कि दीवाली के दौरान सिर्फ जयपुर में करीब 20 लाख बही-खाते बेचे जाते हैं. दीवाली पर बही-खाता के साथ-साथ कलम, कैंची, दवात और स्केल की भी पूजा की जाती है.
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