इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज में इस महीने पब्लिश हुई नई स्टडी से पता चलता है कि दिल के रोग से जुड़े जीन, अल्जाइमर के रोग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. रिसर्चरों ने पाया कि दिल से जुड़ी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों की याददाश्त और सोचने की क्षमता में तेजी से गिरावट आती है और उनमें डिमेंशिया का खतरा 26 प्रतिशत ज्यादा बढ़ा. ये दिल के रोग और अल्जाइमर यानी डिमेंशिया की सबसे कॉमन फॉर्म के बीच संभावित वजह के बारे में बताता है.
क्या कहती है रिसर्च
एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी के PHD स्टूडेंट आर्टिका किर्बी का कहना है कि हमारी स्टडीज का आधार ये पहचानना था कि जेनेटिक म्यूटेशंस हैं. अब यह स्टडी पहले भी ऑब्जर्वेशनल स्टडीज और स्टडीज के दूसरे रूपों के विकल्पों के साथ की गई हैं. हमारी स्टडी में हमने लिपिड और कोरोनरी आर्टरी रोग के बीच संबंधों को देखने के लिए तीन तरह का एनालिसिस किया और फिर लिपिड कोरोनरी आर्टरी रोग और अल्जाइमर रोग के बीच संबंधों को देखा.
कोलेस्ट्रॉल के कई रूप हैं शामिल
रिसर्चरों ने अल्जाइमर बीमारी और स्पेसिफिक लिपिड के बीच खास जेनेटिक कोरिलेशन पाया है, जिनमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और टोटल कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं. उन्होंने अल्जाइमर और कई कोरोनरी आर्टरी रोग लक्षणों के बीच पॉजिटिव जेनेटिक कोरिलेशन की भी खोज की. दिलचस्प बात ये है कि इन हालात में जेनेटिक कंपोनेंट एक जैसे हैं. हालांकि स्टडी में इनके बीच किसी कैजुअल रिलेशनशिप का कोई सबूत नहीं मिला.