बेबाक न्यूज़ लाइव की हेल्थ स्पेशल इस रिपोर्ट में आपका एक बार फिर स्वागत है। आज हम आपके लिए लेकर आये हैं..वो खास रिपोर्ट। जिसमें हम आपको बताएंगे उस बीमारी के बारे में। जिसकी वजह से आपको बोलने, चलने और यहां तक कि जीता जागता इंसान मृत महसूस करने लगता है।
और, इस बीमारी की चपेट में बॉलीवुड से अमिताभ बच्चन हुए यहां तक कि दिवंगत एक्टर अरुण बाली भी पीड़ित थे।
इस बीमारी का नाम रेयर न्यूरो-मस्कुलर डिसऑर्डर है।
आसान भाषा में इसे मायस्थेनिया ग्रेविस कह सकते हैं। इस बीमारी से प्रभावित शख्स की नर्व्स और मांसपेशियों के बीच संचार टूट जाता है। इससे मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं और यह स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है।
चूंकि हमारा नर्वस सिस्टम सिर और चेहरे के नजदीक है तो इसका असर भी यहीं से शुरू होता है। सबसे पहले डबल विजन की समस्या होती है और पलकें झपकाना मुश्किल होने लगता है। फिर आवाज लड़खड़ाने लगती है, कुछ भी निगलना मुश्किल हो जाता है। यह बीमारी जीवित इंसान को मृत सा बना देती है।
तो क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
डबल विजन
ढकती पलकें
चेहरे में पैरालिसिस
बोलने, चबाने या निगलने में कठिनाई
अपने सिर को ऊपर उठाने या फैलाने में परेशानी
चलने में परेशानी
सांस लेने में कठिनाई
थकान
वहीं, अगर इस कंडीशन में फिजिकल एक्टिविटी की जाए तो स्थिति और गंभीर हो सकती है, जबकि आराम करने पर स्थिति में सुधार होता है। यह लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसमें हमारी नर्व्स और मांसपेशियों के बीच का जंक्शन प्रभावित हो जाता है। इसका कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन प्रभावी ट्रीटमेंट से लक्षणों को कम किया जा सकता है।
अब जानिए कि इसका इलाज क्या है ?
वैसे तो, रेयर न्यूरो-मस्कुलर डिसऑर्डर मायस्थेनिया ग्रेविस का फिलहाल कोई सटीक इलाज नहीं उपलब्ध है। हालांकि इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ उपाय जरूर किए जा सकते हैं, जैसे-
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज
प्लाज्मा एक्सचेंज
थाइमस ग्लैंड की सर्जरी
इसके अलावा आप कुछ बदलाव अपने लाइफस्टाइल में भी ला सकते हैं।
• मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने के लिए भरपूर आराम करें।
• अगर डबल विजन से परेशान हैं तो आंखों पर पैच लगाने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
• अतिरिक्त ऊर्जा के लिए अपने भोजन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट शामिल करें।
• सबसे अधिक मेहनत वाले कामों को दिन की शुरुआत में ही निपटा लें।
आपको बताते चलें कि, यह बीमारी अक्सर महिलाओं को 40 वर्ष की उम्र के करीब और पुरुषों को 60 वर्ष की उम्र के बाद प्रभावित करती है। हालांकि, यह कंडीशन किसी भी उम्र में किसी के भी साथ बन सकती है। वहीं, कुछ दवाएं और सप्लीमेंट्स इस रेयर बीमारी के लक्षणों को और बदतर बना सकती हैं। इसलिए कोई भी नई दवा लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूरी है। अपने मन से कोई दवा न लें।