कभी ट्रेन, कभी बस तो कभी कार..आये दिन किसी ना एक्सीडेंट की खबर आती ही रहती है। हर एक्सीडेंट किसी ना किसी की जान भी छीन लेता है। और, ठीक ऐसा ही, उत्तर प्रदेश के उन्नाव हादसे में हुआ..इस हादसे में 18 लोगों की मौत की बेहद दर्दनाक कहानी सामने आई है।
जानकारी के मुताबिक, बिहार राज्य के शिवहर का एक परिवार दिल्ली जा रहा था। हादसा एक्सप्रेस-वे पर बांगरमऊ कोतवाली के पास हुआ। हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि परिवार के 2 बेटे घायल हो गए। टक्कर लगने से प्रयागराज से 12 हजार लीटर दूध लेकर दिल्ली जा रहा टैंकर भी बीच सड़क पर पलट गया।
किसी सदमे से बचाने के लिए पुलिस और डॉक्टरों ने दोनों लड़कों को बाकी परिजनों की मौत के बारे में नहीं बताया।पहचान के उद्देश्य से जब पुलिसकर्मी दोनों लड़कों को सहारा देकर पोस्टमॉर्टम हाउस ले गई, तो वहां शवों को देखते ही दोनों सुबक-सुबककर रोने लगे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें ढांढस बंधाया।
एक्सप्रेसवे पर जिस समय हादसा हुआ, उस समय अधिकांश यात्री नींद में थे। बस में सफर कर रहे यात्रियों में बिहार के सद्दाम, बीटू, मो. शमीम, फूल मोहम्मद और संतोष ने बताया कि जिस समय घटना हुई वह सभी गहरी नींद में थे। उनके मुताबिक लखनऊ में बस रोककर चालक ने चाय भी पी थी। इसके बाद जब बस चली तो चालक ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई थी। हम लोगों ने थोड़ा धीरे चलने के लिए भी कहा, लेकिन बाद में नींद आ गई।
वहीं, जब इस भीषण हादसे की पड़ताल की गई, तो चौंकाने वाले सच सामने आए। न बस का इंश्योरेंस था और न ही फिटनेस। 5 बार भारी-भरकम चालान कटे, लेकिन उन्हें भी जमा नहीं किया। इन सबके बावजूद यह बस सड़क पर दौड़ रही थी। इसमें 57 यात्री सवार थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बस का इंश्योरेंस इस साल 13 फरवरी को ही खत्म हो गया था लेकिन उसे रिन्यू नहीं कराया गया था। इसकी फिटनेस भी 2021 में ही खत्म हो गई थी। पिछले 3 साल से यह बस बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही थी। बस में किसी तरह का अलार्म सिस्टम नहीं था। साथ ही बस में और भी कई कमियां मिली हैं।
फ़िलहाल, उन्नाव जिला अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में 10 मरीज एडमिट हैं।
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