Bihar News: बिहार में पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया गया था.
Bihar News: पटना हाई कोर्ट से गुरुवार को राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने बिहार में पिछले साल आरक्षण कानून में किए गए हालिया संशोधन की संवैधानिक वैधता को खारिज कर दिया है. पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है. वहीं, सरकार के कानून को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को स्वीकृति दे दी है.
‘आरक्षण कानूनों में संशोधन संविधान का उल्लंघन’
मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उन याचिकाओं पर आदेश पारित किया, जिन्होंने नवंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया था. सुनवाई के दौरान याचिकरता ने कहा कि, ‘हमने कहा था कि आरक्षण कानूनों में संशोधन संविधान का उल्लंघन है.’ दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और गुरुवार को अंतिम आदेश जारी कर दिया.
क्या था कानून
दरअसल, बिहार में महागठबंधन की सरकार ने राज्य में जातीय गणना कराने के बाद सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासियों के आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था. आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को बिहार में सरकारी नौकरियों और उत्च शैक्षणिक संस्थानों में मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को मिलाकर कोटा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक कर दिया गया था. सरकार ने 9 नवंबर 2023 को आरक्षण के दायरा को 15 फीसद बढ़ा दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.