नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल किया है। इस याचिका में मतदान के 48 घंटे के भीतर मतदान और मतदाताओं का डेटा सार्वजनिक करने का आदेश देने की गुहार लगाई गई थी। आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि बूथवार फॉर्म 17C को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है। इससे फॉर्म 17C में फर्जीवाड़ा होने की संभावना है, जिससे आयोग पर लोगों का अविश्वास बढ़ सकता है।
डेटा देर से सामने आने का दिया जवाब
चुनाव आयोग ने अपने जवाबी हलफनामे में मतदान का डेटा देरी से अपलोड होन की बात पर कहा कि फॉर्म 17c अपलोड करने की हड़बड़ी में बहुत मुमकिन है कि वेरिफिकेश के दौरान किसी भी तरह की भूल चूक हो जाए। लिहाजा ये घोषणा की जाती है कि रिटर्निंग ऑफिसर दूरदराज की पोलिंग पार्टी से मिली सूचनाओं को शामिल करने में वक्त लगता है. इसी वजह से फाइनल डेटा आने में थोड़ा वक्त लगता है।
कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जान नामुमकिन
आयोग ने कहा है कि इस बाबत चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों को सघन प्रशिक्षण दिया गया है. आम चुनाव संचालित करने में महीनों का सुनियोजित मेहनत लगता है। अब नियमित रूप से चल रही चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का बदलाव करना नामुमकिन है। क्योंकि अब नए सिरे से नई प्रक्रिया का प्रशिक्षण देना नामुमकिन है, क्योंकि आखिरी दो चरणों के लिए चुनाव कर्मचारी ड्यूटी में जुटे हुए हैं.